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शुक्रवार, 30 अक्तूबर 2009

पूर्वी बयार..

पूर्वांचल से बहय बयारिया॥

खुशबू आवय गम गम॥

सोन चिरैया थिरक के नाचे॥

पायल बाजे झम झम ॥

यह धरती पर जनम लेहेन॥

राम भारत भुआला॥

यह माटी माटी माँ खेलेन खुदे॥

हरी गोविन्द नंदलाला॥

गंगा जी के अमृत पानी से॥

मिलता संगम हर-हर ॥

पूर्वांचल से बहय बयारिया॥
खुशबू आवय गम गम॥

गुरुवार, 29 अक्तूबर 2009

महक मुस्कान बबुनी॥

काहे छोडू महक मुस्कान बबुनी॥
हमके बुझत बा लेबू तू जान बबुनी॥
लौकल सुरातिया दीमाकवा में घूमे॥
लमहर लमहर बलवा मनवा में झूमे॥
दिलवा में आवा तूफ़ान बबुनी॥
रतिया में आके हमके जगौलू॥
प्रेम वाली तीनो बतिया बताउलू॥
चला भाग चली बलिया सिवान बबुनी॥

मंगलवार, 20 अक्तूबर 2009

नाजुक हाथ..

नाजुक हथवा मा खुरपी लय के॥

चली बसंती निरावय खेत॥

पढ़य लिखय से नही बा मतलब॥

भरय महतारी बाप कय पेट॥

बाप महतारी भये अपाहिज ॥

सरकारी सुविधा वंचित बाटे॥

मजदूरी कय के बिटिया जो लावे॥

उहय खाय झिनगा पय लोटे॥

नाजुक उमर मा ऐसी विपदा॥

हंस के बिटिया लिहिस समेट॥

कोमल हाथ मा छाला पडिगा॥

गोरा बदन गवा कुम्भ्लाय॥

महतारी बाप कय देख के सूरत॥

बेटी कय मनवा अकुलाय॥

ऐसी छोटी उमर मा दाता॥

काहे केहेया विपत्ति से भेट॥

नाजुक हथवा मा खुरपी लय के॥
चली बसंती निरावय खेत॥

कर्मो का फल..

नींव हमारी हील चुकी है॥

इतना बोझ न ढो पायेगे॥

तन का परुष टूट चुका है॥

उस पथ पर न जा पायेगे॥

जहा पर बैठा श्च का साथी॥

थाल सजाये आरति की..

आतुर hai स्वागत karane को..

मेरे karmo के स्वारथ की

अपने कर्मो का फल मिलेगा॥

नैन मेरे फ़िर झुक जायेगे॥

(चिंता से यह बल घटा॥

चतुराई से हो गया छीड़॥

बुरी सांगत का असर पडा जो॥

आधी उमर में हुआ बिलीन॥

लगता है अबकी पुरुवा में॥

आधी कमर से झुक जायेगे..)

तू नज़र आती है..

करवट बदल -बदल के॥
राते बिताते है॥
तेरा ही नाम लेके ॥
ख्वाबो में गाते है॥
आ जा आ जा आ जा॥
हम तुम्हे बुलाते है॥
रचती जब तू मेहदी॥
मेरा ही नाम लिखती॥
देखू जब मईदर्पण ॥
तेरी ही सूरत दिखाती॥
तेरी ही बात हम ॥
यारो को बातें है॥
आ जा आ जा आ जा॥
हम तुम्हे बुलाते है॥
लगाता हूँ जब मै तकिया॥
याद आती है तेरी बतिया॥
तू हंस हंस के मुझे पुकारे॥
मै आता नदिया किनारे॥
पानी में जब देखू ॥
तेरी सूरत नज़र आती है॥

सोमवार, 12 अक्तूबर 2009

आँख के कजार्वा..

लहर लहर चोटिया माँ ॥

झूम रहा बरवा ॥

की बड़ा नीक लागे ॥

तोहरे आँख के कजरवा ..२

मधुर मुस्कान तोहरी॥

करली ठिठोली॥

होठवा के रंग अब ॥

खेलय लागे होली॥

धीरे धीरे आपन॥

गिरावा अचरवा॥

की बड़ा नीक लागे ॥
तोहरे आँख के कजरवा ॥२

हौले हौले चाल चला॥

बाजे ला पयालिया॥

देख शरमाय जाला॥

बढती उमारिया॥

हंस हंस बरषे तोहे ॥

देख के बदरवा ॥

की बड़ा नीक लागे ॥
तोहरे आँख के कजरवा ..२

शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2009

हँसी आज होठवा पय बर्षो बाद आइल बाटे..

अंधेरिया रात में ..अंजोरिया कहा से आइल बाटे॥

प्रेम कय दीप हमरे दिलवा म जलाइल बाटे॥

सगरे अंजोर होइगा खिल गिले फूल॥

देहिया से खुशबू आवे उड़ गैली धूल॥

प्यार के पिरितिया से मन महकैल बाटे॥

गम गम गमके ला हमरा बगीचा॥

बहुत दिना बाद हमरा दिलवा पसीझा॥

हँसी आज होठवा पय बर्षो बाद आइल बाटे..