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सोमवार, 31 अगस्त 2009

दिल न लगावा यार..

दिल न लगईयो यार ॥
दिल न लगईयो यार ॥

दिल टूट जाता है॥

बड़ी तकलीफ होती है॥

जब बंधन छूट जाता है॥

नजरो में घूमती है॥

बीती हुयी कहानी॥

मुझपर गुजर रही है॥

बताता हूँ जो जुबानी॥

आँखों से आस्क गिर गिर॥

यूं सूख जाता है..

।बड़ी तकलीफ होती है॥

जब बंधन छूट जाता है॥

जुल्मी बना ज़माना॥

करता उसे हूँ याद॥

दर-दर भटक रहा हूँ॥

किस्से करू फरियाद॥

मौसम बना बेढंगा॥

जो रूठ जाता है...

बड़ी तकलीफ होती है॥

जब बंधन छूट जाता है॥

ख्वाबो में हमको कब तक॥

जगाती रहोगी तुम॥अपना शिकार हरदम ॥बनाती रहोगी तुम॥रोता हूँ छुप छुप कर॥जब यार दूर जाता है...

गली म दादा बन के घुमय...

गली म दादा बनके घुमयख़ुद का बने खलीफा
जब देखा तब कराय लराई गए रत माँ पीटा
inaki इतनी नियत बुरी है करत बुरे है काम
एक नाम से नही है माहिर कई है इनके नाम
राम्कालिया कई सीना नापे हाथ माँ लेके फीता
जब देखा तब कराय लराई गए रत माँ पीटा
उधिया बुधिया कुछ ना देखे सबसे आँख लारवे
हम उमर कौनव मिल जाय घर अन्दर बुलावे
यही चक्कर माँ काल दुपहर जम के गए घसीटा
जब देखा तब कराय लराई गए रत माँ पीटा
रुज का इनका पेशा होइगा जब देखा तब थाने माँ
राह चलतु कराय ये झगरा घर माँ मारे ईता
जब देखा तब कराय लराई गए रत माँ पीटा
घर के लोगे बोइलय न मुह से अगल बगल केइ bहगे
जब आवे ये गली के अन्दर रतिया भाई सब जागे
इनकी इतनई नियत है बिगरी रोजी जैहे sईंचा
जब देखा तब कराय लराई गए रत माँ पीटा