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मंगलवार, 14 फ़रवरी 2012

डांका पडिगा.

चढ़त जवानिया डांका पडिगा॥

लय गा माल खंगाल रे॥

तरखाना मा घुस के हेरिस॥

कूद गवा डर्वार रे॥

खुला किवाड़ा पाय के॥

अन्दर आवा चोर॥

उधम मचाइश घर के अन्दर॥

और मचाइश शोर॥

आगे कय सब हड़प लहे बा॥

झपटा बा पिछवारे रे॥

चढ़ी अतारिया गोहार लगाई॥

हाहाकार मचायी॥

पूरी कोशी कय के अपुना॥

का धिन्गरण से बचायी॥

एक कंचोदा रहन हरामी॥

झाँक लिहिस नाबदान रे॥

सोमवार, 13 फ़रवरी 2012

बुढऊ दादा

हमारे जवानिया का॥
घूर के न ताका॥
खसक जाए धोती॥
हे बुढाऊ दादा॥
देख के हमका मारा मुस्की...
हमारी सुरतिया कय चूसा चुस्की॥
आय गा बुढापा ...
सखी न छांटा...
खसक जाए धोती हे बुढाऊ दादा॥
पाय अकेले हाथ दबवा॥
अन्धियारिया मा पीछे से आवा...
हमका बताय दिया का बा इरादा॥
खसक जाए धोती हे बुढऊ दादा॥

लगाय के आय अहि तेल गमकौवा


खड़े खड़े हिया ,,

समय न खराब करा॥

अकेले मा चल के॥

मारा चप्तौवा ॥

लगाय के आय अहि॥

तेल गमकौवा॥

बहुत दिना से मन मचलान रहा॥

सही सुदिनवा पय आज भेटान अहा॥

भागी आवा येह्मू ॥

देखाय न नन्कौवा॥

लगाय के आय अहि तेल गमकौवा॥

लाली लगाए लिपस्टिक लगाए॥

तोहरे नाम कय मेहदी रचाए॥

बोलावत बाटे कब से॥

तोहे गोहरौवा॥

खड़े खड़े हिया समय न ख़राब करा॥

अकेले मा चल के मारा chapTauwaa ॥

लगाय के आय अहि तेल गमकौवा॥

बहुत दिना से मन मचलान रहा॥

सही सुदिनवा पए आज भेतान अहा॥

रजमतिया...

बेकार वाली बतिया करय रजमतिया॥

जब भैली १६ साल की॥

हिले दियय खटिया...

हिले रजमतिया...

जब से भैली १६ साल की॥

उदय दिये टटिया॥

उदय रजमतिया॥

जब से भैली १६ साल की॥

अनोखे से हंस हंस ..अनोखी करय बतिया...

हंसी रजमतिया॥

जब से भैली १६ साल की॥

लहगा उठाय के बन गयी लैला॥

रिकार्ड करय मैला इहे रजमतिया॥

चाहुपाय दियो बतिया॥

चाहुपाय दिया बतिया कोई नहीं॥
मै ५ रात से सोयी नहीं॥
पहली रात की पडिगा पाला॥
बतुर के एकदम सुकुड का साला॥
मै भर भर गदोरी बोयी नहीं॥
चाहुपाय दिया बतिया कोई नहीं॥मै ५ रात से सोयी नहीं॥
दूसरी रात की आय गे आंधी॥
उड़ गय टटिया रात भे जागी॥
वेह दिन जैसे रोयी नहीं॥
चाहुपाय दिया बतिया कोई नहीं॥मै ५ रात से सोयी नहीं॥
तीसरी रात की बादल गरजे॥
चम् चम् चम् चम् बिजली चमके॥
चुवे ओरौनी टोयी नहीं॥
चाहुपाय दिया बतिया कोई नहीं॥मै ५ रात से सोयी नहीं॥
चौथी रात की पड़ गे डांका॥
एह्मू ओह्मू सब के केहू भागा॥
फिर से अवसर खोयी नहीं॥
चाहुपाय दिया बतिया कोई नहीं॥मै ५ रात से सोयी नहीं॥
पांचवी रात आये लुरियात॥
जम के बिठाये पियासी रात॥
मै हंस के जम गयी मोई नहीं॥
चाहुपाय दिया बतिया कोई नहीं॥मै ५ रात से सोयी नहीं॥

रविवार, 12 फ़रवरी 2012

रिश्ता है..

sअपनों में मेरे आने लगा॥

ये कुदरत का करिश्मा है॥

वक्त गीत गाने लगा...

वाब ऐसा फरिस्ता है...

बाते जब करता है॥

हंस के खिलखिलाती हूँ॥

मौज में मस्त हो के ...

गले को लगाती हूँ...

बड़ा आलिशान मेरे॥

यार का गुलिश्ता है...

रूप के वे राजा है॥

नीक है सहूर के॥

बचा के मुझको रखते है॥

जादू टोना धुप से॥

सातो जनक का शायद॥

मेरा उनका रिश्ता है...

मारे का पड़ी..

तोहरी ओछी अदातिया ॥

छोड़ावे का परी॥

एक न एक दिन सब का॥

बतावे का पड़ी॥

रोज रोज टटिया से कराय इशारा॥

अतिया की आय के खत्कावय केवाड़ा॥

अपने भैया से हमका बतावय का पड़ी॥

इतना बदमास बाटे॥

भिअतरे मा ठेले॥

पाय के अन्धियारिया...

जुआड़ आपन हेरय॥

ओके गलवा पए ॥

चबरा लगावे का परी॥

परसों की रतिया मा कय डारिस पंगा॥

गिर गए उपरी पे टूट गवा कंडा॥

इनके चढ़त जवानिया बुझावे का पड़ी..

शनिवार, 11 फ़रवरी 2012

आप से..

शरारत करना सीख गयी ॥
आँखे हमारी आप से॥
देख के क्यों मचल जाती॥
आँखे हमारी आप से॥
जब सोती है आँखे हमारी॥
सपनों में क्यों आते हो?
बाह पकड़ के आप मेरी॥
सोती रात जगाते हो॥
याहो के क्यों फूल खिलते॥
मुस्कुराती हूँ आप से॥
होठ भी हंसने लगे है॥
गालो पे लाली छा गई॥
तेरे नाम की मेहदी रच के॥
मै भी सज के आ गयी॥
पता नहीं क्यों फ़िदा हुआ है...
दिल हमारा आप पे॥

लड्बय तोहसे मुकदमा लड्बय॥

न मनबय न मनबय न मनबय॥
लड्बय तोहसे मुकदमा लड्बय॥
पहले तो आय आय चक्कर लगाया॥
हमारी प्रितिया का काहे जगाया॥
अपने कोठारिया मा कोदव दरैबय...
लड्बय तोहसे मुकदमा लड्बय॥
फोल्वा गुलाब का हमका थमाया॥
होथावा पे आपण मोहर लगाया...
नइखे न मानब न तोहर पिछादवय...
लड्बय तोहसे मुकदमा लड्बय॥
चाधालाई जवानिया आग लगाया॥
बड़ा बड़ा सपना हमके देखाया॥
सारा सबूत कचहरी मा दिखैबय॥
लड्बय तोहसे मुकदमा लड्बय॥

मुझे हाथ मत लगाना..

मुझे हाथ मत लगाना॥

नहीं तो मर जाएगा...

काट लूगी दांते॥

जहर चढ़ जाएगा॥

चढली जवानिया मा॥

जोश बा दोना॥

दिल्ली से पैदल ॥

धूम आइली पूना॥

दहकत उमरिया को हाथ मत लगाना॥

नहीं तो जल जाएगा...

१६ साल की हमारी उमारिया...

कोला वन घूमी दुपहरिया॥

जोवन पे मेरे हाथ मत लगाना...

नहीं तो फट जाएगा...

कय के सिंगार जब घूमू तोला॥

चंचल देहिया छूटे गोला॥

आँखों का जादू मुझपे मत चलना...

नहीं सैट जाएगा...

शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2012

होए वाले दुल्हा से..

बड़ी चूक भैली हाथ न लगाए॥
होय वाले दुल्हा से,, नहीं बतियाये॥
हवाई पे अम्मा बप्पा खडा रहे॥
बड़के भैया कुर्सी पे अड़ा रहे॥
नीचे का मूडी कय के ॥
अंगूठी पहिनाए...
लरिका तो सुन्दर बा॥
लागे भोला॥
अंखिया बा काली ॥
गोर बा चोला॥
घरवा के लोग रहे .नहीं चोच्लाये॥
भूल गए दिये का मोबाइल नंबर॥
होए मुलाक़ात जब आये दिसंबर॥
मौक़ा निकर गा हाथ न लगाए...