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शुक्रवार, 11 दिसंबर 2009

सजनवा re,,

केहसे आँख लडौलू (लईका)

जो लौंग तुम्हारी गायब बाटे॥

देहिया बदनिया से लौकल॥

अवगुण तोहरे आयल बाटे॥

तोहसे नैन लड़ौली ॥ (लइकी)

जो अवगुण हमपे आइल बाटे॥

नकिया कय लौंग हमरी॥

रतिया से गायब बाटे॥

दिहिया से सूझत बाटे ॥लईका..

चढली जवानी॥

मनवा ई जूझत बाटे॥

करली मनमानी॥

अंखिया कय काजल ॥

हमारे देहिया मा लागल बाटे॥

हमतो गुलाम तोहरी ॥ लइकी,,

मन देखे सपना॥

दिनवा मा तारे गिनू॥

बना मोरे सजना॥

तोहरी सुरतिया कय॥

जिया मोर कायल बाटे॥

खेती झुराय गइली,,,

खेतिया झुराय गइली॥
आवे ला रोंवाई॥
नान्ह नान्ह लरिकन का..
अब kaa खियाई॥
बिटिया जवान बैठी ॥
कैसी करी शादी॥
जमा पूँजी नइखे ॥
आइल बर्बादी,,
पुरखन कय खेत लागत,,,
अबतो बिकाई,,,
साथ के उमारिया मा॥
बल घट जाला॥
मनवा कय टीस आपन॥
कह्का सुनाई,,,
ऊब गैले जिनगी से॥
का फांसी लगाई,,,,,,

गुरुवार, 3 दिसंबर 2009

फ़िर प्यार के गीत गाने लगे..

देख कर धुप को..जब मई हंसने लगी॥

मोहित होकर कदम को बढ़ाने लगे॥

हार कर मैअपने को अर्पित किया॥

मेरी बाहों में वे रोज़ आने लगे॥

पूछने पर बताये खूब सूरत हो तुम॥

अपनी ममता का चादर ओढाने लगे॥

मंगलवार, 1 दिसंबर 2009

राम कसम..

सही सही बात करी॥
सच्ची बतायी ॥
राम कसम तनिकव न॥
तोहसे छिपाई॥
राम कसम तनिकव न..................
राह पकडे जाई ॥
राह पकडे आई॥
सखी सहेली से॥
नइखे बतलाई॥
मनवा कय टीस ॥
अपने तोहके सुनाई॥
राम कसम तनिकव न..................
अंखिया अधीन तोहरी ॥
देख के सुरातिया॥
सपने मा देखि हम॥
तोहरी मुरतिया॥
होठवा कय हँसी देख॥
तोहरी ललचाई॥
राम कसम तनिकव न..................

बुधवार, 11 नवंबर 2009

टाठी बाजय॥

जहा भिनौखा टाठी बाजय॥

चर-चर कराय चपाट॥

हुआ मन्दिर पे बैठ के दादा॥

पढ़य सुंदर काण्ड॥

भैया बरधा भैस सानी ॥

दय के धोवे हाथ॥

अम्मा बोले उठ जा लल्ला॥

हसत खडा प्रभात॥

राम राम जब रटे सुगनवा॥

भौजी खड़ी लजात॥

भांजा पूछे केतना होए॥

दू दूनी चार॥

रविवार, 8 नवंबर 2009

बुरा वक्त अब आयेगा..

सूर्य तरैया न रैहय॥
न सावन भादों आयेगा॥
न रैहय मानव धरती पे॥
जब महाकाल चिल्लाएगा...
उथल पुथल के आंधी आयी॥
तहस नहस हो जाएगा॥
मानव सभ्यता कय अंत शुरू बा॥
अब कलयुग उधम मचायेगा॥
सच कय रसरी तनिके बाकी॥
घडा फूटने वाला है॥
सही राह सब भूल गइल बा॥
बुरा वक्त अब आयेगा॥

शुक्रवार, 30 अक्तूबर 2009

पूर्वी बयार..

पूर्वांचल से बहय बयारिया॥

खुशबू आवय गम गम॥

सोन चिरैया थिरक के नाचे॥

पायल बाजे झम झम ॥

यह धरती पर जनम लेहेन॥

राम भारत भुआला॥

यह माटी माटी माँ खेलेन खुदे॥

हरी गोविन्द नंदलाला॥

गंगा जी के अमृत पानी से॥

मिलता संगम हर-हर ॥

पूर्वांचल से बहय बयारिया॥
खुशबू आवय गम गम॥

गुरुवार, 29 अक्तूबर 2009

महक मुस्कान बबुनी॥

काहे छोडू महक मुस्कान बबुनी॥
हमके बुझत बा लेबू तू जान बबुनी॥
लौकल सुरातिया दीमाकवा में घूमे॥
लमहर लमहर बलवा मनवा में झूमे॥
दिलवा में आवा तूफ़ान बबुनी॥
रतिया में आके हमके जगौलू॥
प्रेम वाली तीनो बतिया बताउलू॥
चला भाग चली बलिया सिवान बबुनी॥

मंगलवार, 20 अक्तूबर 2009

नाजुक हाथ..

नाजुक हथवा मा खुरपी लय के॥

चली बसंती निरावय खेत॥

पढ़य लिखय से नही बा मतलब॥

भरय महतारी बाप कय पेट॥

बाप महतारी भये अपाहिज ॥

सरकारी सुविधा वंचित बाटे॥

मजदूरी कय के बिटिया जो लावे॥

उहय खाय झिनगा पय लोटे॥

नाजुक उमर मा ऐसी विपदा॥

हंस के बिटिया लिहिस समेट॥

कोमल हाथ मा छाला पडिगा॥

गोरा बदन गवा कुम्भ्लाय॥

महतारी बाप कय देख के सूरत॥

बेटी कय मनवा अकुलाय॥

ऐसी छोटी उमर मा दाता॥

काहे केहेया विपत्ति से भेट॥

नाजुक हथवा मा खुरपी लय के॥
चली बसंती निरावय खेत॥

कर्मो का फल..

नींव हमारी हील चुकी है॥

इतना बोझ न ढो पायेगे॥

तन का परुष टूट चुका है॥

उस पथ पर न जा पायेगे॥

जहा पर बैठा श्च का साथी॥

थाल सजाये आरति की..

आतुर hai स्वागत karane को..

मेरे karmo के स्वारथ की

अपने कर्मो का फल मिलेगा॥

नैन मेरे फ़िर झुक जायेगे॥

(चिंता से यह बल घटा॥

चतुराई से हो गया छीड़॥

बुरी सांगत का असर पडा जो॥

आधी उमर में हुआ बिलीन॥

लगता है अबकी पुरुवा में॥

आधी कमर से झुक जायेगे..)

तू नज़र आती है..

करवट बदल -बदल के॥
राते बिताते है॥
तेरा ही नाम लेके ॥
ख्वाबो में गाते है॥
आ जा आ जा आ जा॥
हम तुम्हे बुलाते है॥
रचती जब तू मेहदी॥
मेरा ही नाम लिखती॥
देखू जब मईदर्पण ॥
तेरी ही सूरत दिखाती॥
तेरी ही बात हम ॥
यारो को बातें है॥
आ जा आ जा आ जा॥
हम तुम्हे बुलाते है॥
लगाता हूँ जब मै तकिया॥
याद आती है तेरी बतिया॥
तू हंस हंस के मुझे पुकारे॥
मै आता नदिया किनारे॥
पानी में जब देखू ॥
तेरी सूरत नज़र आती है॥

सोमवार, 12 अक्तूबर 2009

आँख के कजार्वा..

लहर लहर चोटिया माँ ॥

झूम रहा बरवा ॥

की बड़ा नीक लागे ॥

तोहरे आँख के कजरवा ..२

मधुर मुस्कान तोहरी॥

करली ठिठोली॥

होठवा के रंग अब ॥

खेलय लागे होली॥

धीरे धीरे आपन॥

गिरावा अचरवा॥

की बड़ा नीक लागे ॥
तोहरे आँख के कजरवा ॥२

हौले हौले चाल चला॥

बाजे ला पयालिया॥

देख शरमाय जाला॥

बढती उमारिया॥

हंस हंस बरषे तोहे ॥

देख के बदरवा ॥

की बड़ा नीक लागे ॥
तोहरे आँख के कजरवा ..२

शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2009

हँसी आज होठवा पय बर्षो बाद आइल बाटे..

अंधेरिया रात में ..अंजोरिया कहा से आइल बाटे॥

प्रेम कय दीप हमरे दिलवा म जलाइल बाटे॥

सगरे अंजोर होइगा खिल गिले फूल॥

देहिया से खुशबू आवे उड़ गैली धूल॥

प्यार के पिरितिया से मन महकैल बाटे॥

गम गम गमके ला हमरा बगीचा॥

बहुत दिना बाद हमरा दिलवा पसीझा॥

हँसी आज होठवा पय बर्षो बाद आइल बाटे..

मंगलवार, 1 सितंबर 2009

तालिया वाली बुढ़िया माई॥

लड़बद्दु के खटिया पर से ॥

रोज जाय तकिया हेराई॥

परेतिनबन के आवे लागी॥

तालिया वाली बुढ़िया माई॥

जब गदेलन घुमय जाय॥

फताही धोती पहिन देखाई॥

परेतिनबन के आवे लागी॥
तालिया वाली बुढ़िया माई॥

कहू अकेले नाही जातय अब ॥

तालिया वाले नारे माँ॥

गलती जैसे कय बैठा तो॥

ऐथत मिले निनारे माँ॥

घर वालें कय नौबत चटके॥

रोजी घर म होय ओझाई॥

परेतिनबन के आवे लागी॥
तालिया वाली बुढ़िया माई॥

महगाई से हाल बुरा ब ॥

महगाई से हाल बुरा ब ॥
रोवय पेटू बोटी का॥
चार दिना से नही ब खाए॥
सब्जी मिलय न छोटी का॥

बाप बेहाल विधाता कोशय॥
कैसे कर्मठ गांठी राम॥
लरिकन का कैसे समझायी॥
चौपट धंधा छूटा काम॥
नन्कौवा बनियानी का फाड़े॥
रूपया मांगे लंगोटी का...

यही झंझट म देही बोली गय ॥
पौरुष तन से भागत ब॥
कैसे चले अब घर कय खर्चा॥
रात बहेतू जागत बा॥
कहा से रूपया मांग के लायी ॥
आता नही बा रोटी का॥

चारव जूनी चाचर होत॥
ऊब गवा बा जान॥
तल्लुक्दारय उलटा बोलाय ॥
होत रोज अपमान॥
bओले महरिया छत के ऊपर॥
हठ कर बैठी धोती का॥

महगाई से हाल बुरा ब ॥
रोवय पेटू बोटी का॥

सोमवार, 31 अगस्त 2009

दिल न लगावा यार..

दिल न लगईयो यार ॥
दिल न लगईयो यार ॥

दिल टूट जाता है॥

बड़ी तकलीफ होती है॥

जब बंधन छूट जाता है॥

नजरो में घूमती है॥

बीती हुयी कहानी॥

मुझपर गुजर रही है॥

बताता हूँ जो जुबानी॥

आँखों से आस्क गिर गिर॥

यूं सूख जाता है..

।बड़ी तकलीफ होती है॥

जब बंधन छूट जाता है॥

जुल्मी बना ज़माना॥

करता उसे हूँ याद॥

दर-दर भटक रहा हूँ॥

किस्से करू फरियाद॥

मौसम बना बेढंगा॥

जो रूठ जाता है...

बड़ी तकलीफ होती है॥

जब बंधन छूट जाता है॥

ख्वाबो में हमको कब तक॥

जगाती रहोगी तुम॥अपना शिकार हरदम ॥बनाती रहोगी तुम॥रोता हूँ छुप छुप कर॥जब यार दूर जाता है...

गली म दादा बन के घुमय...

गली म दादा बनके घुमयख़ुद का बने खलीफा
जब देखा तब कराय लराई गए रत माँ पीटा
inaki इतनी नियत बुरी है करत बुरे है काम
एक नाम से नही है माहिर कई है इनके नाम
राम्कालिया कई सीना नापे हाथ माँ लेके फीता
जब देखा तब कराय लराई गए रत माँ पीटा
उधिया बुधिया कुछ ना देखे सबसे आँख लारवे
हम उमर कौनव मिल जाय घर अन्दर बुलावे
यही चक्कर माँ काल दुपहर जम के गए घसीटा
जब देखा तब कराय लराई गए रत माँ पीटा
रुज का इनका पेशा होइगा जब देखा तब थाने माँ
राह चलतु कराय ये झगरा घर माँ मारे ईता
जब देखा तब कराय लराई गए रत माँ पीटा
घर के लोगे बोइलय न मुह से अगल बगल केइ bहगे
जब आवे ये गली के अन्दर रतिया भाई सब जागे
इनकी इतनई नियत है बिगरी रोजी जैहे sईंचा
जब देखा तब कराय लराई गए रत माँ पीटा