जहा भिनौखा टाठी बाजय॥
चर-चर कराय चपाट॥
हुआ मन्दिर पे बैठ के दादा॥
पढ़य सुंदर काण्ड॥
भैया बरधा भैस सानी ॥
दय के धोवे हाथ॥
अम्मा बोले उठ जा लल्ला॥
हसत खडा प्रभात॥
राम राम जब रटे सुगनवा॥
भौजी खड़ी लजात॥
भांजा पूछे केतना होए॥
दू दूनी चार॥
जहा भिनौखा टाठी बाजय॥
चर-चर कराय चपाट॥
हुआ मन्दिर पे बैठ के दादा॥
पढ़य सुंदर काण्ड॥
भैया बरधा भैस सानी ॥
दय के धोवे हाथ॥
अम्मा बोले उठ जा लल्ला॥
हसत खडा प्रभात॥
राम राम जब रटे सुगनवा॥
भौजी खड़ी लजात॥
भांजा पूछे केतना होए॥
दू दूनी चार॥