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बुधवार, 11 नवंबर 2009

टाठी बाजय॥

जहा भिनौखा टाठी बाजय॥

चर-चर कराय चपाट॥

हुआ मन्दिर पे बैठ के दादा॥

पढ़य सुंदर काण्ड॥

भैया बरधा भैस सानी ॥

दय के धोवे हाथ॥

अम्मा बोले उठ जा लल्ला॥

हसत खडा प्रभात॥

राम राम जब रटे सुगनवा॥

भौजी खड़ी लजात॥

भांजा पूछे केतना होए॥

दू दूनी चार॥

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