सूर्य तरैया न रैहय॥
न सावन भादों आयेगा॥
न रैहय मानव धरती पे॥
जब महाकाल चिल्लाएगा...
उथल पुथल के आंधी आयी॥
तहस नहस हो जाएगा॥
मानव सभ्यता कय अंत शुरू बा॥
अब कलयुग उधम मचायेगा॥
सच कय रसरी तनिके बाकी॥
घडा फूटने वाला है॥
सही राह सब भूल गइल बा॥
बुरा वक्त अब आयेगा॥
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