भर द गोदिया हमार गंगा माई।।
दुबारा हम आईब।।
अपने ललनवा का हिया मुंडन करआईब ..
5 साल होय गईले ..
भाईले हमरी शादी।।
सूनी बाटे गोदिया ..
नइखे सूरती सुहाती।।
विंध्यांचल मंदिर माँ।।
ललना घुमईब ,,
भर द गोदिया हमार गंगा माई।।
सास बोली बोलय ,,
जेठान दियय ताना ।।
कब तक भरी मैया ..
हम हर्जाना।।
ललनवा के संग आय ..
चुनरी चधईबय ..
कौनव बोले बाँझ तो।।
जल जाला खुनवा ..
जियरा उदास बा ..
समझावै के मनवा।।
आय के मंदिर म ..
घंटा चधैबय।।
भर द गोदिया हमार गंगा माई।।
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