पूर्वांचल से बहय बयारिया॥
खुशबू आवय गम गम॥
सोन चिरैया थिरक के नाचे॥
पायल बाजे झम झम ॥
यह धरती पर जनम लेहेन॥
राम भारत भुआला॥
यह माटी माटी माँ खेलेन खुदे॥
हरी गोविन्द नंदलाला॥
गंगा जी के अमृत पानी से॥
मिलता संगम हर-हर ॥
पूर्वांचल से बहय बयारिया॥
खुशबू आवय गम गम॥
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