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गुरुवार, 3 दिसंबर 2009

फ़िर प्यार के गीत गाने लगे..

देख कर धुप को..जब मई हंसने लगी॥

मोहित होकर कदम को बढ़ाने लगे॥

हार कर मैअपने को अर्पित किया॥

मेरी बाहों में वे रोज़ आने लगे॥

पूछने पर बताये खूब सूरत हो तुम॥

अपनी ममता का चादर ओढाने लगे॥

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