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शुक्रवार, 11 दिसंबर 2009

खेती झुराय गइली,,,

खेतिया झुराय गइली॥
आवे ला रोंवाई॥
नान्ह नान्ह लरिकन का..
अब kaa खियाई॥
बिटिया जवान बैठी ॥
कैसी करी शादी॥
जमा पूँजी नइखे ॥
आइल बर्बादी,,
पुरखन कय खेत लागत,,,
अबतो बिकाई,,,
साथ के उमारिया मा॥
बल घट जाला॥
मनवा कय टीस आपन॥
कह्का सुनाई,,,
ऊब गैले जिनगी से॥
का फांसी लगाई,,,,,,

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