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शुक्रवार, 15 जनवरी 2010

हे राम कली हे श्याम कली॥

अन्तर -पंटर न देखावा॥
न तो धूमा गली गली॥
हे राम कली हे श्याम कली॥
आधा पैंट जब पहन के घूमा॥
चुवे लागे लार॥
आंधी बंडी मा जब चलबू॥
होय जाए कहू बवाल॥
सागरी जनता आँख गडाए॥
तोहके देखे खड़ी कड़ी॥
हे राम कली हे श्याम कली॥
गोरे गाल के ऊपर चश्मा॥
देख के लरिके मचले॥
कमर लचाका खाय जब तोहरी॥
पदरौके अव उछले॥
देशी महेरिया बन रहतू॥
नहीं गंधाबू तू पड़ी पड़ी ॥
हे राम कली हे श्याम कली॥

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