चिरैया [अवधी-प्रसंग-नेट-पत्रिका]
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सोमवार, 28 सितंबर 2015
शुक्रवार, 25 सितंबर 2015
गली म हमरी दाल ॥
देख लीन हम कोशिस कय के ॥
गली म हमरी दाल ॥
भय बदनामी गली गली म ॥
खाय गये हम मार ॥
जाय बताइस अपने घर म ॥
दौड़ी आय महतारी ॥
हमरै चप्पल हमरे खोपड़ी पय ॥
गिन के बीसन मारिस ॥
बाप सुनिस जब ई कर दसना ॥
घेरिस हमका काल ॥
भय बदनामी गली गली म ॥
खाय गये हम मार ॥
माई पड़ी बिहोश अबय ॥
केहू नहीं गोसइया ॥
जान के गलती हमसी होय गय ॥
का करी अब दइया ॥
भादौ नदी जाय के कूदी ॥
कैसे लायी भूचाल ॥
भय बदनामी गली गली म ॥
खाय गये हम मार ॥
गली म हमरी दाल ॥
भय बदनामी गली गली म ॥
खाय गये हम मार ॥
जाय बताइस अपने घर म ॥
दौड़ी आय महतारी ॥
हमरै चप्पल हमरे खोपड़ी पय ॥
गिन के बीसन मारिस ॥
बाप सुनिस जब ई कर दसना ॥
घेरिस हमका काल ॥
भय बदनामी गली गली म ॥
खाय गये हम मार ॥
माई पड़ी बिहोश अबय ॥
केहू नहीं गोसइया ॥
जान के गलती हमसी होय गय ॥
का करी अब दइया ॥
भादौ नदी जाय के कूदी ॥
कैसे लायी भूचाल ॥
भय बदनामी गली गली म ॥
खाय गये हम मार ॥
रविवार, 7 जून 2015
आपन आपन हथकंडा ॥
झंझट होए फिर चुनाव म ॥
चलिहय लाठी डंडा ॥
प्रत्याशी सारे अजमाईहै ॥
आपन आपन हथकंडा ॥
केहू छुप के दिय रुपैया ॥
केहू धौस देखाये ॥
केहू अपने रुतबा के संग ॥
आपन एहसान गिनाये ॥
केहू केहू पंडित पुजिहै ॥
केहू पूजे पंडा ॥
प्रत्याशी सारे अजमाईहै ॥
आपन आपन हथकंडा ॥
केहू कहे की जीत जाब तो ॥
बनवाउब तुम्हे कालोनी ॥
केहू कहे की हमें जितावा ॥
खोलब बैठ तिजोरी ॥
बिना मतलब का बहुत प्रत्याशी ॥
देइहै सेंत म चंदा ॥
प्रत्याशी सारे अजमाईहै ॥
आपन आपन हथकंडा ॥
चलिहय लाठी डंडा ॥
प्रत्याशी सारे अजमाईहै ॥
आपन आपन हथकंडा ॥
केहू छुप के दिय रुपैया ॥
केहू धौस देखाये ॥
केहू अपने रुतबा के संग ॥
आपन एहसान गिनाये ॥
केहू केहू पंडित पुजिहै ॥
केहू पूजे पंडा ॥
प्रत्याशी सारे अजमाईहै ॥
आपन आपन हथकंडा ॥
केहू कहे की जीत जाब तो ॥
बनवाउब तुम्हे कालोनी ॥
केहू कहे की हमें जितावा ॥
खोलब बैठ तिजोरी ॥
बिना मतलब का बहुत प्रत्याशी ॥
देइहै सेंत म चंदा ॥
प्रत्याशी सारे अजमाईहै ॥
आपन आपन हथकंडा ॥
गुरुवार, 5 फ़रवरी 2015
handicap
मोहे लागि चन्दन होयगा बियाह ॥
लेत अहा जिनगी कय बहुतय अथाह ॥
कुवारा मरि जातेया अहा भाय लंगड़ा ॥
रहय का ठौर न होय गया कंगला ॥
कुवारा मरि जातेया अहा भाय लंगड़ा ॥
दूसरे के बिटिया का तू गरियावा ॥
आन के मेहरी का जाय के पटवा ॥
नीक सूक नाही न मुह बा बनरा ॥
कुवारा मरि जातेया अहा भाय लंगड़ा ॥
आशिक बन के बहुतय घुमेया ॥
मधुशाला म पी के झुमेया ॥
देखाय देहा सब का नाच के भांगड़ा ॥
कुवारा मरि जातेया अहा भाय लंगड़ा ॥
लेत अहा जिनगी कय बहुतय अथाह ॥
कुवारा मरि जातेया अहा भाय लंगड़ा ॥
रहय का ठौर न होय गया कंगला ॥
कुवारा मरि जातेया अहा भाय लंगड़ा ॥
दूसरे के बिटिया का तू गरियावा ॥
आन के मेहरी का जाय के पटवा ॥
नीक सूक नाही न मुह बा बनरा ॥
कुवारा मरि जातेया अहा भाय लंगड़ा ॥
आशिक बन के बहुतय घुमेया ॥
मधुशाला म पी के झुमेया ॥
देखाय देहा सब का नाच के भांगड़ा ॥
कुवारा मरि जातेया अहा भाय लंगड़ा ॥
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