पृष्ठ

बुधवार, 5 जून 2013

हंस के जवानिया के मारा कुल्ला //
हिया आवा गोरी खियायी रसगुल्ला//
हमरे रस्गुला के रस बड़ा मीठा //
खाय के देखा लागे न फीका //
सटाय लिया सिनवा से खुल्लम खुल्ला//
हिया आवा गोरी खियायी रसगुल्ला//
खाय के रस्गुला होय जाबु दीवानी//
हमका बतौबू आपण कहानी//
दय देतू अपने गलवा के चुम्मा //
हिया आवा गोरी खियायी रसगुल्ला//
तोहासी नेहिया हमही लगाये//
प्रेम वाला गनवा तोहका सुनाये //
बढाय दिया हथवा पहिनाय देयी चुल्ला //
हिया आवा गोरी खियायी रसगुल्ला//

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें