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रविवार, 12 फ़रवरी 2012

मारे का पड़ी..

तोहरी ओछी अदातिया ॥

छोड़ावे का परी॥

एक न एक दिन सब का॥

बतावे का पड़ी॥

रोज रोज टटिया से कराय इशारा॥

अतिया की आय के खत्कावय केवाड़ा॥

अपने भैया से हमका बतावय का पड़ी॥

इतना बदमास बाटे॥

भिअतरे मा ठेले॥

पाय के अन्धियारिया...

जुआड़ आपन हेरय॥

ओके गलवा पए ॥

चबरा लगावे का परी॥

परसों की रतिया मा कय डारिस पंगा॥

गिर गए उपरी पे टूट गवा कंडा॥

इनके चढ़त जवानिया बुझावे का पड़ी..

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