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सोमवार, 13 फ़रवरी 2012

चाहुपाय दियो बतिया॥

चाहुपाय दिया बतिया कोई नहीं॥
मै ५ रात से सोयी नहीं॥
पहली रात की पडिगा पाला॥
बतुर के एकदम सुकुड का साला॥
मै भर भर गदोरी बोयी नहीं॥
चाहुपाय दिया बतिया कोई नहीं॥मै ५ रात से सोयी नहीं॥
दूसरी रात की आय गे आंधी॥
उड़ गय टटिया रात भे जागी॥
वेह दिन जैसे रोयी नहीं॥
चाहुपाय दिया बतिया कोई नहीं॥मै ५ रात से सोयी नहीं॥
तीसरी रात की बादल गरजे॥
चम् चम् चम् चम् बिजली चमके॥
चुवे ओरौनी टोयी नहीं॥
चाहुपाय दिया बतिया कोई नहीं॥मै ५ रात से सोयी नहीं॥
चौथी रात की पड़ गे डांका॥
एह्मू ओह्मू सब के केहू भागा॥
फिर से अवसर खोयी नहीं॥
चाहुपाय दिया बतिया कोई नहीं॥मै ५ रात से सोयी नहीं॥
पांचवी रात आये लुरियात॥
जम के बिठाये पियासी रात॥
मै हंस के जम गयी मोई नहीं॥
चाहुपाय दिया बतिया कोई नहीं॥मै ५ रात से सोयी नहीं॥

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