पृष्ठ

शुक्रवार, 22 मार्च 2013


भानू से हंस कर पूछ लिया ..
भास्ककर क्यों कहलाते हो?
सुबह सुबह क्यों उगते हो?
किरणे क्यों फैलाते हो?
रात में भी अपनी किरणे तो फैलाओ।।
लोगो का सोना दूभर हो।।
सारी रात जगाओ।।
सूर्य देव हंस कर तब बोले।।
प्राक्रित ने नियम बनाया।।है।।
दिन दिया है मुझको।।
रात चन्दा को बनाया है।।
जाके चन्दा से प्रश्न किया।।
चन्दा हंस कर तब बोला।।
मेरे मन के ज्ञान दीप का।।
बंद किवाड़ा खोला।।
सब सीमा में बढे हुए।।
बालक क्यों झुठलाते हो।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें