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सोमवार, 11 मार्च 2013

हमका बोलावा हिया हुवा ..

समझ गयी हूँ मतलबी जिया।।
हमका बोलावा हिया हुवा ..
रोज रोज हमके बर्फी खियावा।।
हमरे गलवा पय हाथ लगावा।।
टोय के देखा हमरा बिया।।
समझ गयी हूँ मतलबी जिया।।
हमका बोलावा हिया हुवा ..
चोली लावा कंगना लावा।।
अपने हाथ से हमका पहनावा।।
होठवा कय़ चुम्मा लिया।।
समझ गयी हूँ मतलबी जिया।।
हमका बोलावा हिया हुवा ..
सज धज के जब घर से निकली।।
हमरी चोरी गयी फिर पकड़ी।।
दिलवा से हमरे घाटा किया।।
समझ गयी हूँ मतलबी जिया।।
हमका बोलावा हिया हुवा ..
अंखिया बिरह में हो गयी गीली।।
तन कय चमड़ी पड़ गयी पिली।
अबतो दुलहनिया बनाय लिया।।
समझ गयी हूँ मतलबी जिया।।
हमका बोलावा हिया हुवा ..

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