ई मर्द कय महत्वाकांक्षा का तू॥
भाप न पवलू साथे मा॥
वादा कय के चम्पत भैलू॥
दाग लगावलू माथे मा॥
तू दुसरे कय बाह पकड़ लेहलू॥
हम ढर्रा तोहरी ताकत बाते॥
तोहरी सूरत बिसरत नाही॥
मनवा फंसगा घाटे मा॥
ई कौन शास्त्र मा लिखा बा जानू॥
की वादा कय के छोड़ दिया॥
मंदिर मा इतनी कसम खायलू॥
धागा बांधू हाथे मा॥
माला तोहरे नाम मय॥
जपत रहब दिन रात॥
या तव तू औबे करबू॥
या देबैय हम जान॥
ऐसे हमका दैमारु तू॥
देहिया पड़ी उचाटे मा॥
काफी सुन्दर शब्दों का प्रयोग किया है आपने अपनी कविताओ में सुन्दर अति सुन्दर
जवाब देंहटाएंthankyou sir,,,,,,,
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