अब भेजो हो यहाँ॥ तो कुछ नाम तो kअमाने दो...
एक बार हमको इन्सान तो बन जाने दो।
हाथ दान देंगे जुबा मीठी बोल बोलेगी॥
चारो पहर खुशिया आँगन में तेरे डोलेगी॥
थोड़ा इशारा कर दो वक्त को तो आने दो॥
पैर करेगे तीरथ व्रत गंगा स्नान होगा॥
चित्रकूट में बैठ कर राम गान होगा॥
जब खिल गयी है कलियाँ..इनपे रहम तो कर दो॥
तन तरुवर करे तपस्या मेरा बड़ा भाग होगा॥
जब आप सरीक होगे आप का भी साथ होगा॥
मेरी कलम की कविता को एक बार तो सज जाने दो॥
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें