पृष्ठ

मंगलवार, 20 अक्तूबर 2009

नाजुक हाथ..

नाजुक हथवा मा खुरपी लय के॥

चली बसंती निरावय खेत॥

पढ़य लिखय से नही बा मतलब॥

भरय महतारी बाप कय पेट॥

बाप महतारी भये अपाहिज ॥

सरकारी सुविधा वंचित बाटे॥

मजदूरी कय के बिटिया जो लावे॥

उहय खाय झिनगा पय लोटे॥

नाजुक उमर मा ऐसी विपदा॥

हंस के बिटिया लिहिस समेट॥

कोमल हाथ मा छाला पडिगा॥

गोरा बदन गवा कुम्भ्लाय॥

महतारी बाप कय देख के सूरत॥

बेटी कय मनवा अकुलाय॥

ऐसी छोटी उमर मा दाता॥

काहे केहेया विपत्ति से भेट॥

नाजुक हथवा मा खुरपी लय के॥
चली बसंती निरावय खेत॥

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें