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रविवार, 1 अगस्त 2010

गोपाल के मम्मी करवट ले ले..

हे गोपाल की मम्मी ॥
करवट ले ले॥
सारी बला टल जायेगी॥
सूखी पड़ी है जो कलियाँ॥
सुबह सुबह मुस्कायेगी॥

चंचल होगी आँख तुम्हारी॥
जब गाल पे भवरा मंडराएगा॥
मेरे आँगन में सावा आके॥
बारिश की बूँद बरसायेगा॥
मेरे बाहों की माला होगी॥
अपने पास बुलायेगी॥
हे गोपाल की मम्मी ॥
करवट ले ले॥
सारी बला टल जायेगी॥
सूखी पड़ी है जो कलियाँ॥
सुबह सुबह मुस्कायेगी॥

बजने लगेगी पायल तेरी॥
तन मेरा बौरायेगा.. ॥
कमर पकड़ तुझको जानू॥
अपने पास बुलाएगा॥
रात अँधेरी कोई नहीं॥
क्यों सुन्दर रूप छुपाओगी॥
हे गोपाल की मम्मी ॥
करवट ले ले॥
सारी बला टल जायेगी॥
सूखी पड़ी है जो कलियाँ॥
सुबह सुबह मुस्कायेगी॥

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