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शुक्रवार, 13 अगस्त 2010

हमरा गउवा बदल के शहर होय गवा॥

मिल गय आजादी अव भय खुल गवा॥
हमरा गउवा बदल के शहर होय गवा॥
हर गाँव स्कूल खुले है ,,शिक्षा के जले है दीप॥
पक्की सड़क दुवारे तक है,, न मांगे अब कोऊ भीख॥
हमारे देशवा पकका बाज़ार खुल गवा...
हमरा गउवा बदल के शहर होय गवा॥
कम्पूटर कय आवा ज़माना॥
नेटवोर्किंग पय सुने लागे गाना॥
अपने लोगवन के मनाई कय भाग जग गवा॥
हमरा गउवा बदल के शहर होय गवा॥

2 टिप्‍पणियां:

  1. समय बदलने, जमाना बदलने और समाज बदलने को याद नहीं आता कब किसीने भाग जगना कहा. आमतौर पर लोग सब बदतर मानते हैं अपने हालात बेहतर हों तो भी मातम का कोई न कोई बहाना ढूंढ लेते हैं.

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