पृष्ठ

मंगलवार, 10 अगस्त 2010

मनवा उदास कय के हमें फुश्लावय ल॥

आय के अंधेरिया मा हमके जगावे ला॥

मनवा उदास कय के हमें फुश्लावय ल॥

संग मा मिठायी और लाये रसगुल्ला॥

खुश भइल जियरा करय हस्गुल्ला॥

हथवा से अपने हमके खियावे ला॥

मनवा उदास कय के हमें फुश्लावय ल॥


रिम -झिम सवनवा बहुत झकझोरय॥

बैरी पवनवा नसिया फोरय॥

पीछे वाला बाजू बंद धीरे धीरे खोलेला॥

मनवा उदास कय के हमें फुश्लावय ल॥

कनवा मा धीरे धीरे बोले बोलिया॥

भैली मदहोश खाए नशा वाली गोलिया॥

हथवा दिला पे हमरे लागावे ला॥

मनवा उदास कय के हमें फुश्लावय ल॥

4 टिप्‍पणियां: