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बुधवार, 4 अगस्त 2010

घंटन बतलात ही..

खुशुर फुशुर बात करय॥

बहुत अदरात ही॥

छत पय मोबाईल से॥

घंटन बतलात ही॥

मुहवा से बतिया बहुत नीक लागे॥

हंस हंस बहलावे कसमिया खाके॥

रात अम्मा नइखे बहुत सेखियात ही॥

छत पय मोबाईल से॥
घंटन बतलात ही॥

बारह बजे रतिया में ओहके बोलाउली॥

अपनी अटारिया ओहके देखौली ॥

पकड़ के कमरिया खुद बिछलात ही॥

छत पय मोबाईल से॥
घंटन बतलात ही॥

चार बजे पीछे कय खुला दरवाज़ा॥

भैले उजियार बाजन लागे बाजा...

गाँव मा यही सुन्दर लड़की देखात ही॥

छत पय मोबाईल से॥
घंटन बतलात ही॥

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