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बुधवार, 4 अगस्त 2010

अचरवा हे गोइया उड़ उड़ जाला॥



हंस हंस अखिया मा चमके कजरवा॥


अचरवा हे गोइया उड़ उड़ जाला॥


हंस हंस के होठवा लागल बिरावय॥


चढ़ती जवानी अब कुछ न बुझाला॥


अचरवा हे गोइया उड़ उड़ जाला॥


बहे पुरवईया आवय अलशायी॥


देख सुरतिया मन मुस्कायी॥


देहिया से निकरत बाटे उजाला॥


अचरवा हे गोइया उड़ उड़ जाला॥


पाँव कय पयलिया छम छम बाजे॥


चंचल मन मोरा खूब नाचे॥


रहि रहि उनके मनवा दिठाला ॥


अचरवा हे गोइया उड़ उड़ जाला॥

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