जब से बेतवा परदेश गवा॥
बहू देखावय ड्रामा॥
छत पय चढ़ के सिटी बजावै॥
करय रोज़ हंगामा॥
करय रोज हंगामा॥
मंगू कय खटिया तोडिस॥
सीढ़ी साधी हमरे बुधिया कय॥
बूढ खोपडिया फोरिस॥
सारी रात जल्दी बाज़ी मा॥
फाड़ीस हमरव पजामा॥
जब से बेतवा परदेश गवा॥
बहू देखावय ड्रामा॥
लरिकन के संग टुक्की टुइया॥
रात अंधेरिया खेले॥
बड़े बड़े औज्हड़ जब मारय॥
हंस हंस ओहका झेलय॥
हमरी बुढिया रोज़ खियावय॥
बनाय के उनका खाना।
जब से बेतवा परदेश गवा॥
बहू देखावय ड्रामा॥
बहू देखावय ड्रामा..
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