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शुक्रवार, 9 अप्रैल 2010

समर भूमि में कभी नहीं मै झुकाऊ माथ॥

रामायण के पात्र हे॥ हे महाभारत के वीर॥
कौन घडी पैदा हुए क्या क्या रचना कीं॥
बदले सारे नियम कर्म सच्चाई हुयी हसीन॥
छिड़ी मार हम न बने न हम बने कुटीर॥
रहम करम कुछ तो करो हम है तेरे अधीन॥
ध्यान लगाऊ तम्हे हम तुम मेरे जगदीश॥
जब घटना की घंटी बजे तुम रहो हमारे साथ॥
समर भूमि में कभी नहीं मै झुकाऊ माथ॥

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