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गुरुवार, 15 अप्रैल 2010

सजनवा शराबी हमार..



सिजिया सुतन कैसे जाऊ रे॥


दारू पीवे सजनवा॥


खटिया हिलावय॥


तकिया गिरावय॥


देहिया पकड़ के ॥


झुलवा झुलावय॥


का दय के ओहे बगदाऊ रे॥


दारू पीवे सजनवा॥


जोर-जोर बोलय॥


टटिया खोलय॥


घुप्प अन्धेरा ॥


हूवा टटोले॥


बारिष भयी बिचलाऊ रे॥


दारू पीवे सजनवा॥


कराय बरजोरी॥


सीना जोरी॥


झपटा झपटी॥


हेरा फेरी॥


हाथ पकड़ मुस्काऊ रे॥


दारू पीवे सजनवा॥





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