सिजिया सुतन कैसे जाऊ रे॥
दारू पीवे सजनवा॥
खटिया हिलावय॥
तकिया गिरावय॥
देहिया पकड़ के ॥
झुलवा झुलावय॥
का दय के ओहे बगदाऊ रे॥
दारू पीवे सजनवा॥
जोर-जोर बोलय॥
टटिया खोलय॥
घुप्प अन्धेरा ॥
हूवा टटोले॥
बारिष भयी बिचलाऊ रे॥
दारू पीवे सजनवा॥
कराय बरजोरी॥
सीना जोरी॥
झपटा झपटी॥
हेरा फेरी॥
हाथ पकड़ मुस्काऊ रे॥
दारू पीवे सजनवा॥
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें