बीते हुए पल...
हमने भी गुजार दी है॥दर्द भरी जवानी॥हमको भी याद आती है॥बीती हुयी कहानी॥करती थी बात जब वह॥कलियों से खुशबू झरती॥आँखे बड़ी अजीब थी॥मस्त हो मचलती॥अब भी संभाल रखा हूँ॥उसकी एक निशानी॥हमने भी गुजार दी है॥दर्द भरी जवानी॥उसने सजाया चमन को॥मैंने भी उसको सीचा॥आपस ताल मेल था॥शव्दों को दोनों मींजा॥अब रोता हमारा दिल है॥आगे नहीं बतानी ॥हमने भी गुजार दी है॥दर्द भरी जवानी॥नजर लगी किसी की॥य होनी को यही बदा था॥नफरत कहा से आयी॥मुझको नहीं पता था॥उजड़ा मेरा बगीचा॥दूजे पे हक़ जमा ली॥हमने भी गुजार दी है॥दर्द भरी जवानी॥
हमने भी गुजार दी है॥दर्द भरी जवानी॥हमको भी याद आती है॥बीती हुयी कहानी॥करती थी बात जब वह॥कलियों से खुशबू झरती॥आँखे बड़ी अजीब थी॥मस्त हो मचलती॥अब भी संभाल रखा हूँ॥उसकी एक निशानी॥हमने भी गुजार दी है॥दर्द भरी जवानी॥उसने सजाया चमन को॥मैंने भी उसको सीचा॥आपस ताल मेल था॥शव्दों को दोनों मींजा॥अब रोता हमारा दिल है॥आगे नहीं बतानी ॥हमने भी गुजार दी है॥दर्द भरी जवानी॥नजर लगी किसी की॥य होनी को यही बदा था॥नफरत कहा से आयी॥मुझको नहीं पता था॥उजड़ा मेरा बगीचा॥दूजे पे हक़ जमा ली॥हमने भी गुजार दी है॥दर्द भरी जवानी॥
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें