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गुरुवार, 15 अप्रैल 2010

रात कटती नहीं प्रीति हटती नहीं॥

रात कटती नहीं प्रीति हटती नहीं॥
तेरे आने से महफ़िल क्यों जचती सही॥
तुम सूरत की मूर्ति बनी आज हो॥
mएरी सपनों की रानी बनी साज हो॥
तुम बताओ छुपा करके रखू कहा॥
तेरे पायल की छम छम रूकती नहीं॥
रात कटती नहीं प्रीति हटती नहीं॥
तेरे आने से महफ़िल क्यों जचती सही॥
तेरी कजरारी आँखों से मूर्छित हुआ॥
मैंने देखा न खाई कहा है कुआ॥
तुम अब जीवन आधार बन कर चलो॥
अब तो लेना ठिकाना पडेगा कही॥

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