बुडे उतिराय रे॥
भवरिया मा नैया॥
लागत बा बूड़ जाब॥
डर लागे दैया॥
पहिले जब गलियन मा॥
होत रही चर्चा॥
बड़ा बरजोर रहे ॥
बोवत रहे मरचा॥
चौबीस घंटा ताल ठोकी॥
हिलय मढैया॥
बुडे उतिराय रे॥
भवरिया मा नैया॥
लागत बा बूड़ जाब॥
डर लागे दैया॥
चिंता सताईस॥
घुन गय देहिया॥
घर का अब तीत लागी॥
लागावय न नेहिया॥
सीधे देखात नाही॥
नौके न तरैया॥
बुडे उतिराय रे॥
भवरिया मा नैया॥
लागत बा बूड़ जाब॥
डर लागे दैया॥
चालत बेरिया अब तो ॥
बनाय लिया कमवा॥
जियरा निकल जाए॥
सड़ी जाए चमवा॥
भूल जांए चारी दिन मा॥
चलत बेचकैया॥
बुडे उतिराय रे॥
भवरिया मा नैया॥
लागत बा बूड़ जाब॥
डर लागे दैया॥
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