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बुधवार, 14 अप्रैल 2010

हे गोइया रहिया निहार के चला॥

सूरज विचरे मस्त गगन मा॥

डोलन लागी भुइया॥

हंसे हिलोरे बहे बयरिया॥

नाचन लागी कुइया॥

हे गोइया रहिया निहार के चला॥

संस्कार कय डोर न तोड़ा॥

न बूडा उतिराह ॥

बिना बात के बोली न बोला॥

न कहूके घर जाह॥

रगड़ झगड़ से दूर जब रहबू॥

शांत रहे सरसुइया

हे गोइया रहिया निहार के चला॥

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