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गुरुवार, 18 फ़रवरी 2010

कुछ करबेया न धरबेया..

सवाल मत बोला॥
जबाब का देई॥
कुछ करवेया न धरवेया॥
उधार का लेई॥
कुछ करबेया न धरवेया॥
मन तत्कोल्बेया॥
हंस हंस बोल्बेया...
हमार का होई॥
कुछ करबेया न धरवेया॥
मन ललचाये ...
रहा न जाए॥
हिसाब कब होए॥
कुछ करबेया न धरवेया॥
अंखिया फडके॥
निंदिया भड़के॥
बतावा कहा सोयी॥
कुछ करबेया न धरवेया॥

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