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शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2010

पिरितिया से नाता तोडू॥

कैसे छोड़ दिहिव तू॥ सात जनम कय रीतिया॥
पिरितिया से नाता तोडू॥
आपन खोय देहिव तू कंचन जौसे बगिया॥
पिरितिया से नाता तोडू॥
कौन कहा नहीं माने तोहरा॥
का नहीं तोहके दीन॥
भल दुर्दशा हमारी करलू॥
तेरह तिकड़म तीन॥
नहीं जगय तू पाऊ आपन भगिया॥
पिरितिया से नाता तोडू॥
जहा कहा की हिया पे मिलवे॥
कभो न अतरा कीन॥
चैन सुख सब दुर्लभ होय गा॥
अब देहिया होत विलीन॥
नहीं जोगे तू पाऊ आपन बतिया॥
पिरितिया से नाता तोडू॥
अगर गलत रास्ता पे जायी ठुमक के मारा धक्का॥
न तो हम काशी का भैले न गैले कलकत्ता॥
ताना हमका घातक होइगा॥
जाम भावा मोरा चक्का॥
तोहके नीक का लागे जब आयी तोहरी सवातिया॥
पिरितिया से नाता तोडू॥

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