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बुधवार, 17 फ़रवरी 2010

रंग बिरंगी होली मा..

न मिलबय कलकत्ता काशी॥

न तो मिलबय खोली मा॥

आय के तोहरे रंग लगाऊब॥

रंग बिरंगी होली मा॥

जब गोरे गाल पे लगे अबीरिया॥

होय जाबु कचनार॥

अंखिया चकर मकर न देखे॥

झरे लागे उपहार॥

हंसी तोहाय छुपा के रखबय॥

मन मंदिर की झोली मा।

न मिलबय कलकत्ता काशी॥
न तो मिलबय खोली मा॥
आय के तोहरे रंग लगाऊब॥
रंग बिरंगी होली मा॥

देख के लीला मोहित होबू॥

भगबू आगे पीछे॥

पाय इशारा अंचरा खिचब॥

मनवा मन कुछ सीखे॥

पता चले पल गुजर जाये कब॥

हंसी मज़ाक ठिठोली मा॥

न मिलबय कलकत्ता काशी॥
न तो मिलबय खोली मा॥
आय के तोहरे रंग लगाऊब॥
रंग बिरंगी होली मा॥

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