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शुक्रवार, 30 अप्रैल 2010

चली उताने..



पनवा खैली लगवा फुलैली॥


चली उतान बजरिया में॥


दोना गाडा पकड़ के खैचय॥


संझलौका अरहरिया में ॥


लाली लगाऊ लिपस्टिक लगाऊ॥


अव पहनू पाजेब॥


चारिव पुरवा घूम के आइली॥


नरवा मा होई गय भेंट॥


खीचा तानी मा फट गय धोती॥


झरती लीये कोठरिया में॥


पनवा खैली लगवा फुलैली॥
चली उतान बजरिया में॥


छुप-छुप बोली धीरे-धीरे डोली॥


रच रच लाज शर्म सब खोली॥


रोज़ अंधेरिया मिला करा तो॥


लौके लागे अंजोरिया में॥


पनवा खैली लगवा फुलैली॥
चली उतान बजरिया में॥






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