पृष्ठ

सोमवार, 15 मार्च 2010

सच्चे पहरे दार है॥


हम स्वतंत्र भारत के ॥

सच्चे पहरे दार है॥

परतंत्र मेरा काम है॥

गणतंत्र के गुलाम है॥

रूकते नहीं कभी हम॥

थकते न पाँव मेरे॥

चढाते है शिखा पे॥

जहा कठिन घटा घनेरे॥

दिया है जिसने चमन मुझे॥

उनको मेरा सलाम है॥

परतंत्र मेरा काम है॥
गणतंत्र के गुलाम है॥

सच का साथ देता ॥

संकट भी दूर रहता॥

बढे चलो बढे चलो॥

मन हमारा कहता॥

सच्चाई के सिवा कोई॥

दूजा नहीं लगाम॥

परतंत्र मेरा काम है॥
गणतंत्र के गुलाम है॥

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें