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सोमवार, 22 मार्च 2010

अब थोड़ी से मुस्कान दे दो॥

रूठ कर क्यों बैठे हो टूटे दिल॥

हमसे भी दो बाते कर लो॥

सूखा है समंदर तपिस बढ़ी॥

हे मेघ राज बरसात कर दो॥

हरियर क्यारी हो जायेगी॥

कलियों का खिलाना जरी होगा...

फिर भवरे मचलते आयेगे॥

बस थोडा सा उपकार कर दो॥

हम आस लगाए बैठे है॥

तुम मांग सजाओ गे मेरी॥

सोलह सिंगर पहन के निकलू॥

सकुचा जायेगे समय सहेली॥

अब देर न कर रुठन वाले॥

अब थोड़ी से मुस्कान दे दो॥

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