आज हमसे ज़माना रूठल हो॥
माया की नगरिया झूटल हो॥
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आये यमराज पलंग चठी बैठे॥
सूद वियाज सब पूछल हो...
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चार जाने मिल खात उठावे॥
गंगा जल से हमके नहलावे॥
सबसे नाता टूटल हो॥
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चिता राचावे आंस गिरावे॥
बाह पकड़ हमका पहुडावे॥
हमरी खोपडिया फूटल हो॥
अस्थि कलश को अर्पित कैले॥
घर कय डगरिया वापस धैले॥
मन कय ममता कूटल हो॥
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