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शुक्रवार, 12 मार्च 2010

काश मेरा घर ऐसा होता॥

काश मेरा घर ऐसा होता॥
जलाते दीप समीप से॥
सात खम्भों से टापू बनता॥
बन जाते दरवाजे॥
शिव की मंदिर अलग चमकती॥
सच्चे होते इरादे॥
हंस हंस कर मै बाते करता॥
प्रिय प्रिया अव मीत से॥
बल अव बुध्ह पहरूवा बनाते॥
मखमल पे मै सोता॥
धन संपत्ति सब हंसते रहते॥
हर संभव सुख होता॥
विपदा हमसे दूर भागती॥
डरते हम विपरीत से॥

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