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बुधवार, 9 जून 2010

सच्चा सेवक..


न पछताता सत्कर्मो पर॥

सत्य को नहीं डीगाता हूँ॥

चलता हूँ सच के पथ पर मै॥

सच्चाई की अलख जगाता हूँ॥

हमको पता है थोड़े दिन में॥

मुझपे लांछन लग जाएगा॥

भ्रष्ट हुए जो ऊपर के अफसर॥

गली गली दौडाए गे॥

फिर भी सच का साथी बन कर॥

पर्वत पर चढ़ जाऊगा॥

जो भ्रस्थाचारी भरे हुए है॥

उनका किला गिराऊगा॥

मै एक साधारण सेवक॥

सच्चाई की तिलक लगाता हूँ॥

चलता हूँ सच के पथ पर मै॥
सच्चाई की अलख जगाता हूँ॥

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