दैया रे दैया॥ गरम गरम लागे॥
पडाने वाली पूड़ी॥
वह पूड़ी को ससुर जी खाया॥
सासू के हमारे फट गयी मूड़ी॥
दैया रे दैया॥ गरम गरम लागे॥
पडाने वाली पूड़ी॥
उस पूड़ी को जयेष्ट जी ने खाया॥
जेठानी के हमारे आय गयी जूडी॥
दैया रे दैया॥ गरम गरम लागे॥
पडाने वाली पूड़ी॥
उस पूड़ी को देवरा जी ने खाया॥
देवरानी जी करती हां हुजूरी॥
दैया रे दैया॥ गरम गरम लागे॥
पडाने वाली पूड़ी॥
उस पूड़ी को सिया जी खाया॥
हमसे बोले चलो मंसूरी॥
दैया रे दैया॥ गरम गरम लागे॥
पडाने वाली पूड़ी॥
....सुन्दर रचना!!!
जवाब देंहटाएंthank you sir
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