प्यारी तेरी मीठी बोली॥
dikhati कितनी काली है॥
मधुर स्वरों से गूंजे बगिया॥
तेरी बात निराली है॥
कितने ऋषि मुनियों को तूने॥
प्यारा गीत सुनाया है॥
कितनी वियोगिनियो के उपवन में॥
प्यारा फूल खिलाया है॥
यौवन की मद मस्त कली अब॥
औरो से इठलाती है॥
प्यारी तेरी मीठी बोली॥
dikhati कितनी काली है॥
dikhati कितनी काली है॥
शव्दकोश में तेरी उपमा॥
सब कवियों ने गाया है॥
सुन्दर सलिल बानी तेरी॥
शम्भू के मन भाया है॥
तभी तो हम सुन्दर शव्दों में॥
तेरी भाषा लिख डाली है॥
प्यारी तेरी मीठी बोली॥
dikhati कितनी काली है॥
dikhati कितनी काली है॥
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