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गुरुवार, 17 जून 2010

जागे नन्कौना..

रात अंधियारिया चटकोर जिन बोला॥
जागे नन्कौअना बाह न सिकोडा॥ जागे नन्कौना ॥
कहत अही मान जा काटा न चकोटी॥
गलवा का टोय के पकड़ा न चोटी॥
तोहे कसम सूना तो ॥ मन न चटोला॥ जगे नन्कौना
मौक़ा के ताड़ मा हमें फुशिलावा॥
मक्खन लगावा क्रीम खिलावा॥
सूना तानी देखा तो॥ नाचय लाग लोटा॥
जागे नन्कौअना बाह न सिकोडा॥ जागे नन्कौना ॥
आज नहीं आने दिन करत आही वादा॥
जा खेते सोवा छोड़ दिया आशा॥
अबतो कर्म ठीक करा॥
हुआ न तट्कोला ॥
जागे नन्कौअना बाह न सिकोडा॥ जागे नन्कौना ॥

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