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सोमवार, 21 जून 2010

अब तो राहत दे दो राम॥

तप के देहिया कलुयी पडिगे॥

टुटही बखरी माँ लगे घाम॥

अब तो राहत दे दो राम॥

पूरा जयेष्ट बीत गइल बा॥

अब तो लाग आषाढ़ ॥

तन से हमारे आग है निकरत॥

चटके लाग कपार॥

अब तो राहत दे दो राम॥

पशु पक्षी सब ब्याकुल भागे॥

खड़े पेड़ सब पानी मांगे॥

नदिया तरसे अब आपनी का॥

सूखा पडा तालाब ॥

अब तो राहत दे दो राम॥

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