जिस चाँद को छोने वाला था।
उसे और किसी ने पाला था॥
मै उसका मतवाला था॥
वह मुझे चाहने वाला था॥
छुप छुप के हाथ बढाता था॥
औरो से घबराता था॥
वह मेरा प्रेम पुजारी था॥
मै उसका प्रेम पुजारी था॥
वह दिल का भोला भाला था॥
मै थोड़ा सा काला था...
मै हंसी हंसी में कहता था...
वह कहने से डरता था॥
उसका रूप निराला था ...
तभी तो हमको प्यारा था...
जिस चाँद को छूने वाला था...
उसे और किसी ने पाला था...
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