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सोमवार, 5 दिसंबर 2011

जाते जाते जगवालो से
एक छोटी सी अरदास है...
बहुत जरुरी नहीं है भैया
छोटा बड़ा एक काम है...
हिलमिल कर रहने पे
अम्बर भी शीश झुकाते है...
प्रेम भाव को देख कर
बैरी भी कतराते है...
पापी पाप छोड़ देते है...
कहते ये अपराध है...
पथ से अपने पैर हटाना
मरते दम तक प्यारे वीर
प्राण निछावर कर देना
पर नहीं झुकाना दुश्मन को शीश...
सब प्राणी को खुशिया देना
यही तेरा उपहार है...
उंच नीं की बात करना
हिन्दू सिख इसाई की
सब सज्जन से हाथ मिलाना
बात करना सच्चाई की...

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