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मंगलवार, 6 दिसंबर 2011

राधा मार रही पिचकारी
कान्हा भागे गली गली
सब रंगों से भरी पिचकारी
कान्हा चढ़े कदम्ब की डाली
कान्हा नाच रहे ग्वालो संग
राधा देखे खड़ी खड़ी ...
रंग अबीर राधा ने डाला
कान्हा भी पिचकारी मारा
बज गयी ढोल गाते ग्वाल...
चारो अंखिया लड़ी लड़ी
बरसाने की राधा प्यारी
अपने घर की राजदुलारी
रंगों से सारे रंगे हुए है
मोतियाँ की लागी झड़ी झड़ी
2
जाओ नन्दलाल
रंग तोहे डालूगी
होली के आज
पिचकारी तोहे मारूगी
सब रंगों को सजा के राखी
संग अबीर गुलाल
नीला से तोहे पीला करूगी
रंग डालूगी गाल
सजा के राखी थाल
आरती उतारूगी
पीताम्बर को नीला करूगी
तुम्हे करूगी गोरा
आओ मुझे अजमा के देखो
नन्द बाबा के छोरा
लेलो आके मैदान
तुम्हे पछाडूगी

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