सखियन संग जनक दुलारी ॥
अवध म मार रही पिचकारी॥
कहा से आयी कनक पिचकारी॥
कहा की जनक दुलारी..अवध मा॥
राम जी लाये कनक पिचकारी॥
मिथिला की जनक दुलारी... अवध मा॥
के .के मारे भर पिचकारी॥
कहके आयी बारी। अवध म।
तीनी भैया मारे पिचकारी॥
भीगे सिया की साडी। अवध..म।
के के रंग अबीर लगावे॥
कहके बची है बारी..अवध म॥
रंग अबीर से रंगे नर नारी॥
बची राम की बारी। अवध।
के के ढोलक झांझ बजावे॥
के बजावे ताली। अवध में
चारो भैया तन लगावे...
सिया बजावे ताली । अवध। म.
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